नारी को काम दो, गांव को विकास दो – यही है आत्मनिर्भर भारत का मंत्र!
त्वरित खबरें निशा विश्वास ब्यूरो प्रमुख रिर्पोटिंग

जहां नारी है स्वावलंबी, वहीं गांव बनेगा संपन्न!”

काम का प्रशिक्षण नहीं, अब काम की गारंटी – यही है स्वावलंबी भारत की असली शक्ति!”

स्वावलंबन की लहर, हर गांव में बदलाव का कहर!

पिसेगांव बनेगा उदाहरण – जब महिलाएं करेंगी सहकारिता से निर्माण!

नारी को काम दो, गांव को विकास दो – यही है आत्मनिर्भर भारत का मंत्र!

दुर्ग ग्रामीण पिसेगांव बना स्वावलंबन की नई मिसाल: स्वावलंबी भारत अभियान के तहत महिलाओं को स्वरोजगार का मिला प्रशिक्षण, सहकारिता के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर कदम

दुर्ग ग्रामीण के पिसेगांव गांव में आज एक ऐतिहासिक पहल देखने को मिली, जब स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत आयोजित महिला प्रशिक्षण शिविर में दर्जनों ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भरता की प्रेरणा लेकर उमड़ पड़ीं। इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि सही दिशा, उचित प्रशिक्षण और संवेदनशील नेतृत्व मिले, तो ग्रामीण महिलाएं भी अपने गांव की आर्थिक, सामाजिक और आत्मिक उन्नति में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

मंगलभवन परिसर में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में पैकिंग कार्य का प्रशिक्षण महिलाओं को प्रदान किया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व स्वावलंबी भारत अभियान के प्रांत सह समन्वयक  संजय चौबे ने किया। उन्होंने उपस्थित महिलाओं को न केवल तकनीकी जानकारी दी, बल्कि उन्हें 17 से अधिक ऐसे घरेलू एवं लघु स्तर के कार्यों के बारे में विस्तार से बताया जिन्हें अपनाकर वे सशक्त और आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन सकती हैं। इनमें साबुन, अगरबत्ती, पेपर बैग, मसाला पैकिंग, ड्राय फ्रूट्स ग्रेडिंग, लेबलिंग, स्टेशनरी पैकिंग, लिफाफा निर्माण जैसे कार्य शामिल हैं।

कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाने हेतु दो विशिष्ट अतिथि – दुर्ग के प्रतिष्ठित उद्योगपति एवं समाजसेवी अनूप गटागट तथा पूर्व डिप्टी कमिश्नर जीएसटी  राजेंद्र मिश्रा विशेष रूप से उपस्थित रहे। अनूप गटागट ने अपने प्रेरणादायक वक्तव्य में कहा, “यदि पिसेगांव की महिलाएं एक संगठित सहकारी टोली बनाएं, तो हम उन्हें वर्ष भर कार्य देने को प्रतिबद्ध हैं। केवल प्रशिक्षण नहीं, अब नियमित आजीविका की व्यवस्था हमारा लक्ष्य है।”

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ महिलाएं ही हैं और जब तक वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं होंगी, तब तक गांव की पूर्ण प्रगति संभव नहीं है।

 संजय चौबे ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “आज पिसेगांव की महिलाओं में जो ऊर्जा, लगन और आत्मनिर्भरता की ललक दिखी, वह वास्तव में आने वाले समय की सकारात्मक दिशा का संकेत है। आज ये महिलाएं न सिर्फ अपने लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए प्रेरणास्त्रोत बनकर उभर रही हैं।”

इस आयोजन के माध्यम से यह भी निर्णय लिया गया कि स्थानीय स्तर पर मंगल भवन या उपलब्ध सामुदायिक स्थान को कार्य केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा और यथाशीघ्र इन कार्यों की शुरुआत की जाएगी ताकि महिलाएं बिना विलंब के आमदनी अर्जन के मार्ग पर अग्रसर हो सकें।

आज के  कार्यक्रम की विशेषताएं निम्न रही जिसमें

स्वरोजगार केंद्र शुरू करने की योजना, सहकारिता के माध्यम से कार्य वितरण, पायलट मॉडल के रूप में पिसेगांव चयनित

,तकनीकी एवं उत्पादक कार्यों का ऑन-साइट डेमो

,स्वावलंबी महिलाओं के लिए स्थायी सप्लाई चैन स्थापित करने का वादा किया गया ।

 आज के कार्यक्रम में सहभागिता करने वाली प्रमुख महिलाएं थीं यामिनी साहू, कामेश्वरी देशमुख, हेमलता देशमुख, राजकुमारी बाधे, सरस्वती यादव, मधु देशमुख, उमा देशमुख, किरण देशमुख, सोध्छा देवांगन, माला वर्मा, नेमा देशमुख, गीत देशमुख, सावित्री देशमुख, प्रेरणा साहू, भोगली कुमारी देशमुख, यागिनी साहू, श्रीमती श्यामा देशमुख, रेणुका देशमुख सहित दर्जनों अन्य युवतियां और महिलाएं शामिल रही।

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