*विकास के लिए एकता आवश्यक - फुलवा देवी*  श्रीमांझी संस्था की देवजात्रा एवं भवन लोकार्पण कार्यक्रम सम्पन्न
त्वरित ख़बरें/रिपोर्टिंग मुज़्ज़म्मिल ख़ान ब्यूरों राजनांदगांव

राजनांदगाव: गत 7 फरवरी को श्री मांझी अंतर्राष्ट्रीय समाजवाद आदिवासी किसान सैनिक संस्था जिला कार्यालय बैगाटोला- जोब एवं अखिल भारतीय मां दण्तेवाड़िन सेवा समिति शाखा कार्यालय डोंगरगढ़ उप शाखा रामजीटोला के संयुक्त तत्वावधान में डोंगरगढ़ में देवजात्रा एवं  नवनिर्मित सामुदायिक भवन का लोकार्पण कार्यक्रम मनमोहक मांदर नृत्य एवं सुमधुर रेला पाटा की प्रस्तुति के साथ सफलतापूर्वक  सम्पन्न हुआ। 

       कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक भुनेश्वर बघेल एवं संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष फुलवादेवी कांगे रहे,   देवजात्रा कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के जिलाध्यक्ष समन उइके एवं मंचीय कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्रीय सहकारी बैंक के जिलाध्यक्ष नवाज खान ने किया।

      विशेष अतिथि जनपद अध्यक्ष भावेश सिंह, संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के.डी.कांगे, जिला पंचायत सदस्य द्वय प्रभा साहू एवं पुष्पा वर्मा, नगरपालिका अध्यक्ष सुदेश मेश्राम,गोंड़ महासभा मोहला के अध्यक्ष नरेन्द्र नेताम, ब्लाक गोंड़ समाज छुरिया-डोंगरगढ़ के अध्यक्ष दिनेश कोरेटी दिलेर,ब्लाक गोंड़ समाज ईस्तारी के अध्यक्ष बाबूराव हिड़को संस्था के विधि सलाहकार राजकुमारी कांगे ,संस्था के महासचिव राजीव सिंह उइके,मनोज नेताम, श्रीराम सोरी,दिनेश ध्रुर्वे एवं सतीश मरकाम रहे। 

         कार्यक्रम का शुभारंभ हीरादेव सिंह कांगे की पूजा-अर्चना के  साथ हुआ पश्चात अतिथियों का स्वागत किया गया।

      सभा को संबोधित करते हुए राजमाता फुलवा देवी कांगे ने कहा कि आदिवासी समाज भारत के मूलनिवासी होने के बाद भी विभिन्न कारणों से पिछड़ा हुआ है। आदिवासी समाज को आगे बढ़ने के लिए शिक्षित होकर एकजुट होना पड़ेगा। समाज में व्याप्त नशाखोरी  आदिवासी समाज को आगे बढ़ने से रोक रही है। आदिवासी समाज में पूर्ण नशाबंदी अतिआवश्यक है। 

        नवाज खान ने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार आदिवासी समाज के साथ- साथ सर्व समाज के विकास के लिए योजनाबद्ध तरीके से निरंतर काम कर रही है।  श्री खान ने बूढ़ादेव पहाड़ी जाने वाली रास्ते  पर प्रवेश द्वार बनाने हेतु सार्थक पहल करने का आश्वासन दिया।

       संस्था के महासचिव राजीव सिंह उइके ने संस्था की गठन से लेकर की जा रही जनकल्याणकारी  सामाजिक कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी देते हुए संस्था से लगभग 76 जाति के लोगों द्वारा जुड़कर राष्ट्रीय एवं सामाजिक कार्य निस्वार्थ भाव से करने की बात बतायी। 

       नरेन्द्र नेताम ने कहा कि गोंड़ी भाषा सबसे प्राचीन भाषा है लेकिन इस प्राचीन भाषा को बचाने के लिए आजादी के पचहत्तर सालों के बाद भी किसी भी सरकार द्वारा उचित एवं सार्थक कदम नहीं उठाया गया ये हमारे समाज के लिए दुर्भाग्य की बात है। जब गोंड़ी भाषा बचेगी तभी गोंड़ी संस्कृति बचेगी इसके लिए हमारे गोंड़ समाज को भी ठोस कदम उठाना पड़ेगा। 

      दिनेश कोरेटी दिलेर ने कहा कि देश में दो तरह के सैनिक काम करते है एक तरह के सैनिक वेतन लेकर राष्ट्र एवं समाज के लिए काम करते है तथा दूसरे तरह के सैनिक बिना वेतन के राष्ट्र एवं समाज के लिए स्वयं सेवक के रूप में काम करते है इन सैनिकों को पेनवासी हीरा देव सिंह कांगे उर्फ कंगला मांझी के प्रति  पूरी आस्था, निष्ठा एवं विश्वास है तथा श्री मांझी के विचारों को  जन- जन तक पहूंचाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। श्रीमांझी संस्था के कार्यकर्ता बिना किसी धरना-प्रदर्शन एवं आंदोलन के संवैधानिक रूप से सरकार तक अपनी बातें पहुंचा कर जनता के कल्याण के लिए काम करते है। राष्ट्र एवं समाज के निर्माण व विकास में श्रीमांझी संस्था का महत्वपूर्ण योगदान है जिसे कभी भूला नहीं जा सकता। 

        बाबूराव हिड़को ने कहा कि आदिवासी समाज गरीब नहीं है क्योंकि हर आदिवासी परिवार के पास प्राकृतिक संपत्ति के रूप में जल,जंगल, जमीन है  लेकिन आदिवासी समाज के पास विकास परक सोच नहीं होने के कारण पिछड़े है जिस दिन आदिवासी समाज  अपने आप को पहचान लेगा उस दिन उनकी सारी समस्याओं का निराकरण हो जायेगा। 

      मंचीय कार्यक्रम का संचालन संतराम सलामें, उदेसिंह कोमरे एवं भुनेश्वर नेताम ने तथा आभार प्रदर्शन संस्था के जिलाध्यक्ष समन उइके ने किया।  छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग एवं महाराष्ट्र के गोंदिया जिला के अनेकों  आंगादेव देवजात्रा में सामिल रहे। 

    मुख्य कार्यक्रम के एक दिन पूर्व देवी-देवताओं का आगमन, मंच उदघाटन एवं ध्वजारोहण तथा तीसरे दिन देव बिदाई का कार्यक्रम हुआ। देवी- देवताओं के देवजात्रा के तहत नगर भ्रमण करते समय समस्त सामाजिक वर्गों के लोगों ने आंगा देवों सहित सभी देवी- देवताओं का आरती उतार कर एवं श्रीफल चढ़ाकर स्वागत एवं सम्मान किया।

     इस अवसर पर जबकसा की आदिवासी  महिलाओं ने रेलापाटा आंको, पंडरापानी,मरकाकसा एवं कटेंगाटोला के आदिवासी कलाकारों ने मनमोहक मांदर नृत्य प्रस्तुत किया। समस्त  अतिथियों, लोककलाकारों एवं नर्तक दलों का स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

      कार्यक्रम में सांवत राम मंडावी, इंदरसाय वरकड़े,विजय सलामें, सिंघन ध्रुर्वे,अम्बरसाय दुग्गा ,तुकाराम टेकाम, महेश कोवाची,धनीराम खुशराम, बल्दू उसेण्डी, ओमप्रकाश मंडावी, लालाराम नेताम, अमरसिंह सलामें, दिलदार नेताम, खोरबाहरा खुड़श्याम, अर्जुन यादव,रजऊ मंडावी, मनकू कुरेटी, शत्रु पाल,कुंभकरण, संतु मंडावी, जेठूराम, सोनसिंग, जगदीश उसेण्डी, फिरतु मंडावी, बोधन यादव, आदुराम टेकाम, बिरबल तुलावी, रूपसाय तुलावी, फूलसिंह कुरेटी, विमल तुलावी, आमन,आत्माराम, सुरपत सिरसाम, चिंता मंडावी, केवल उइके, हरक पटेल, देबीलाल, तिजऊ, निजामसाय कोरचा, झाडू कुमेटी, श्रवण उइके, बलीराम टेकाम, नोहर परते, जीवन मंडावी, चैतराम उइके, रूपेन्द्र उइके, रमेश कोवाची,मंगलू कोड़ापे, प्रकाश मंडावी, हरिलाल कोवाची आदि सहित संस्था के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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