प्रेरणा :  शिशु में आ रहे परिवर्तनों को देखकर नई मम्मियों के मन में कई सवाल जन्म लेते हैं
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14 मई 2022

मॉमीवाइज़ (mommywize.com) उन माताओं के लिए बनाई गई वेबसाइट है जो कि गर्भावस्था के दौर में हैं, मां बन चुकी हैं या जिनके बच्चों की आयु सात वर्ष तक है। आजकल एकल परिवार में रहने का चलन है और मम्मियां कामकाजी भी हो गई हैं। इसे ध्यान में रखते हुए अलग-अलग बच्चों की आवश्यकताओं को समझने एवं परवरिश में सहायता करने के लिए इसे तैयार किया गया है। मदर्स डे के उपलक्ष्य में जानते हैं मॉमीवाइज़ की मम्मी सोनिया चावला से उनके इस शिशु की कहानी।
मॉमीवाइज़ का जन्म
2018 में मॉमीवाइज़ का जन्म हुआ था। उस समय मेरी बेटी एक वर्ष की थी। जब मैं गर्भवती थी तब मैंने बच्चे के जन्म, उसके विकास आदि विषयों पर ख़ूब पढ़ा था लेकिन जब मेरी बिटिया गोद में आई, तब मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उस समय इंटरनेट पर मौजूद जानकारी से अधिक आवश्यकता थी नई मम्मियों के अनुभव की, ऐसी मम्मियों की, जो मेरी सहायता कर सकें। मैंने सोशल मीडिया पर ऐसी मम्मियों को खोजा और मुझे मदद मिलने लगी, तभी मुझे विचार आया कि क्यों न इसे बड़े पैमाने पर शुरू किया जाए और मॉमीवाइज़ का जन्म हो गया।

मातृत्व के अनुभवों का संग्रह
मॉमीवाइज़ में गर्भवती महिलाओं के लिए लेख हैं, बढ़ते बच्चों की परवरिश के लिए भी सामग्री है। कोई भी नई मां मॉमीवाइज़ पर जाकर अपना ब्लॉग शुरू कर सकती हैं और अपने अनुभव साझा कर सकती हैं। साथ ही कई सारे चिकित्सक एवं विशेषज्ञ भी यहां उपलब्ध हैं। एक हिस्सा उन माताओं का भी है, जो मॉमप्रेन्यर्स हैं, मॉम इंफ्लुएंसर्स हैं।


मम्मियों द्वारा, मम्मियों के लिए
मॉमीवाइज़ की शुरुआत के एक महीने में ही छह हज़ार मम्मियां इससे जुड़ चुकी थीं। चुनौती यही थी कि मेरी बिटिया भी छोटी थी और मॉमीवाइज़ भी नवजात था तो दोनों के बीच सामंजस्य कैसे बैठाया जाए। ऐसे में लॉकडाउन का समय हमारे लिए उपयोगी साबित हुआ। हम घर से ही काम कर रहे थे और मैं बच्ची को भी समय दे पा रही थी। मॉमीवाइज़ की कार्यप्रणाली ही इस प्रकार है कि इसमें सभी मम्मियां ही काम करती हैं और वे घर से ही काम करती हैं ताकि उनके बच्चों की परवरिश प्रभावित न हो।
पोषण में शामिल है ज़िम्मेदारी
मॉमीवाइज़ को जन्म देने के बाद मुझे यह महसूस हुआ कि यह दायित्व का काम है क्योंकि आप कुछ भी मन से नहीं लिख सकते हैं। जो भी लेख है, उसके पीछे शोध और विश्वसनीयता होना बहुत आवश्यक है क्योंकि मम्मियां बच्चों की समस्याएं और गर्भावस्था के बाद होने वाले शारीरिक परिवर्तन पर भी सहायता चाहती हैं तो ऐसे में प्रभावग्राहकता से काम करना बहुत ज़रूरी हो जाता है। विशेषज्ञों की भूमिका अहम हो जाती है।

साथ-साथ बड़े हो रहे बेटी और मॉमीवाइज़
मॉमीवाइज़ से मुझे अपनी बेटी की परवरिश में भी ख़ूब सहायता मिलती है क्योंकि दोनों साथ में बड़े हो रहे हैं। जिन भी विषयों पर हम मॉमीवाइज़ के लिए काम करते हैं, वे मेरे बच्चे की परवरिश में भी काम आते हैं। मॉमीवाइज़ के जन्म से पहले मेरा मातृत्व को लेकर जो परिप्रेक्ष्य था, वो अब बिल्कुल जुदा है। मैं अब एक बेहतर मां हूं।

मातृत्व का एहसास
मां बनने का संवेदन मेरे लिए बेहद सुखद है। जब बच्चा जन्म लेता है, तब हो सकता है आप ज़्यादा कुछ महसूस नहीं कर पाओ लेकिन जैसे-जैसे वो बड़ा होता है, हमारा प्यार उसके लिए बढ़ता है। कई बार अपनी बेटी को चीज़ें सिखाते हुए बहुत कुछ मैं सीख जाती हूं। मां बनने के बाद हम असीमित सीखते हैं।

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