24/अगस्त /2022
राजनांदगंाव का नाम दिग्विजय नगर करने की मुहिम को जन जन का अपार सम्मान और प्यार मिल रहा है। दिग्विजय नगर समिति के अध्यक्ष दुष्यंत दास के नेतृत्व में उनकी टीम ने मुहिम को नई उंचाईयां देने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। शुरूआत में उन्होंने शहर के प्रबुद्व नागरिकों से दिग्विजय नगर के लिए समर्थन हासिल किया। उसके बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा। समिति के पदाधिकारी पूरे देश प्रदेश का दौरा कर दिग्विजय नगर के लिए समर्थन जुटा रहे हैं। इसी कड़ी में दास ने विगत दिनों राजधानी दिल्ली में कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से मुलाकात की और उनसे दिग्विजय नगर के लिए समर्थन मांगा। तब सिंह ने उन्हें अपना पूरा समर्थन देकर हर संभव मदद का आश्वासन दिया। तब से दिग्विजय नगर एक राष्ट्रीय विषय बन गया है।
दिग्विजय नगर की संकल्पना शून्य से शिखर की ओर बढ़ती जा रही है। पहले शहर स्तर पर ही लोग इसके बारे में चर्चा करते थे लेकिन अब पूरे देश प्रदेश में चर्चा होने लगी है। क्या आम और क्या खास हर वर्ग इस मुहिम को हाथोंहाथ ले रहा है। जीवन के विभिन्न क्षेत्र जैसे राजनीति, कला, साहित्य, चिकित्सा, उद्योग-व्यापार की नामी गिरामी हस्तियां दिग्विजय नगर को समर्थन दे रही हैं। दिग्विजय नगर समिति के अध्यक्ष दुष्यंत दास और उनके साथियों की यात्रा लगातार अपनी मंजिल की ओर अग्रसर है। अपने अगले पड़ाव के रूप में दास ने विगत दिनों राजधानी नई दिल्ली स्थित कांग्रेस भवन में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह से मुलाकात की और उनसे दिग्विजय नगर के लिए उनका समर्थन मांगा। इस पर श्री सिंह ने उन्हें अपना पूरा समर्थन दिया। ङ्क्षसंह ने यह भी कहा कि वे दिग्विजय नगर को अपना हरसंभव मदद करेंगे।
दास ने बताया कि इसी तरह वे मुहिम को लेकर लोगों से मुलाकात कर रहे हैं। उन्हें राजा साहब के द्वारा शहर में कराए कार्यों के बारे में बता रहे हैं। राजा साहब ने शहर को लेकर क्या योजनाएं बनाई थी, वे शहर को आगे कहां तक ले जाना चाहते थे, राजनांदगांव शहर को लेकर क्या सपने देखते थे। इन सभी पहलूओं के बारे में विस्तार से चर्चा की जा रही है। दास और उनके साथियों यह भी बता रहे हैं कि राजा साहब के सपनों का साकार करना ही दिग्विजय नगर समिति का उद्देश्य है। राजनांदगांव का नाम दिग्विजय नगर करने से पुरातन सोच के बजाए एक आधुनिक विचार का अहसास होगा। आज की युवा पीढ़ी भी राजा साहब के योगदानों के बारे में जान सकेगी। यही राजा साहब के प्रति सच्ची श्रद्वांजलि होगी।

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