छात्रों के साथ CM साय ने याद किया बचपन, बोले- मेरे हिस्से शरारत नहीं आई...
त्वरित ख़बरें -सत्यभामा दुर्गा रिपोर्टिंग

 छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बीते दिन धमतरी जिले में प्रशासन द्वारा आयोजित ‘मिशन अव्वल’ समारोह में शामिल हुए। इस समारोह में सीएम साय ने मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया। इस समारोह में सीएम विष्णुदेव साय ने बच्चों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए उनके सभी सवालों के जवाब भी दिए। इस दौरान सीएम साय ने जिले में 55 करोड़ 15 लाख रुपये के 122 अलग-अलग विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन किया है।समारोह में कुरूद से आई कक्षा दसवीं की छात्रा वेदिका देवांगन ने सीएम साय से सवाल किया कि क्या वह भी बाकी बच्चों की तरह ही अपने स्कूल लाइफ में शरारती थे, अगर वह थे तो किस तरह के शरारती थे। इस सवाल का जवाब सीएम साय ने हंसते हुए दिया और कहा कि बचपन में शरारत तो करते ही हैं। मेरे साथ परिस्थितियां अलग थीं। जब मैं चौंथी कक्षा में था 10 साल की उम्र में मेरे सिर से पिता का साया उठ गया था। परिवार का सबसे बड़ा बेटा होने के नाते सारी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गई थी। मुझे ही खेतीबाड़ी, समाज और घर वालों को देखना होता था। इसलिए पढ़ाई तो की, लेकिन मुझे शरारत करने का मौका नहीं मिल पाया।सीएम साय ने कहा कि उनका मानना है कि बच्चों को शरारत करनी चाहिए। साथ ही अपने सपने को पूरा करने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ मेहनत करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सफलता के लिए यह मायने नहीं रखता कि आपने गांव के स्कूल से पढ़ाई की है या शहर के स्कूल से पढ़ाई की। दोनों ही जगह आपको अपने सपनों के लिए मेहनत करनी पड़ेगी। इसके साथ ही एकलव्य विद्यालय की छात्रा सविता सोरी ने सीएम साय से पूछा कि क्या यह सच है कि गांव के स्कूल पढ़ाई में शहर से पीछे रहते हैं। इसके जवाब में सीएम साय ने कहा कि वह इस बात से सहमत नहीं है। गांव के स्कूल पढ़ाई में शहरों से पीछे नहीं होते हैं। गांव और शहर की बात नहीं है। जहां भी शिक्षक अच्छे मिल जाते हैं वहां पढ़ाई का स्तर अच्छा हो जाता है।

YOUR REACTION?

Facebook Conversations