भवनों में ऊर्जा संरक्षण तकनीक पर कार्यशाला
त्वरित ख़बरें - क्रेडा द्वारा इसीबीसी के प्रति लोगों को जागरूक करने तथा ऊर्जा के क्षेत्र में कौशल विकास

राजनांदगांव । भवनों में ऊर्जा संरक्षण के लिये केन्द्र द्वारा ‘‘ ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (एनर्जी कंसर्वेशन बिल्डिंग कोड) 2017 में संशोधित कर लागू किया गया है। देश के दो केन्द्र शासित प्रदेशों सहित 20 राज्यो में इसका अनुपालन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में भी इस इसीबीसी को प्रदेश की जलवायु अनुकूल एवं ऊर्जा आवश्यकता अनुसार संशोधित करके लागू करने की प्रक्रिया जारी है। क्रेडा इसके लिये राज्य द्वारा अभिहित नोडल एजेंसी है। इसी क्रम में क्रेडा द्वारा इसीबीसी के प्रति लोगों को जागरूक करने तथा ऊर्जा के क्षेत्र में कौशल विकास के उद्देश्य  से विडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से 11 फरवरी 2022 को कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें नगर पालिका निगम एवं टाऊन एण्ड कंट्री प्लानिंग विभाग राजनांदगांव एवं बिलासपुर के अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता  संजीव जैन, मुख्य अभियंता क्रेडा द्वारा की गई एवं  जे.एन. बैगा कार्यपालन अभियंता, क्रेडा की भी उपस्थिति रही। इसीबीसी का तकनीकी सत्र ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफीशियंसी ;ठम्म्द्ध से प्रमाणित मास्टर ट्रेनर एवं डिजाईन टू ऑक्यूपेंसी ;क्2व्द्ध जयपुर के मैनेजिंग पार्टनर  आशु गुप्ता द्वारा लिया गया। कार्यशाला में  यू.के. रामटेके, कार्यपालन अभियंता नगर पालिक निगम, राजनांदगांव एवं  सूर्यभान सिंह ठाकुर, उप निर्देशक टाऊन एण्ड कंट्री प्लानिंग विभाग, राजनांदगांव द्वारा महत्वपूर्ण सुझाव दिये गए। प्रदेश में क्रेडा द्वारा 2017 से वर्तमान तक 92 कार्यशालाएं आयोजित की गई, 3489 प्रोफेशनल्स एवं सरकारी अभियंताओं को प्रशिक्षित किया गया है।

एनर्जी कंसर्वेशन बिल्डिंग कोड (इसीबीसी) क्या है ?

एनर्जी कंसर्वेशन बिल्डिंग कोड केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय एवं ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफीशियंसी ;ठम्म्द्ध द्वारा 2007 में बनाया गया देश की कुल उत्पादित ऊर्जा की 33 प्रतिशत खपत भवनों के निर्माण संचालन एवं रखरखाव में होती है। इसमें से 8 प्रतिशत खपत व्यवसायिक भवनों में तथा 24 प्रतिशत खपत आवासीय भवनों मे होती है। छत्तीसगढ़ में ऊर्जा खपत 11 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। जो देश में झारखण्ड के बाद द्धितीय स्थान पर है। इसका सीधा असर ग्लोबल वार्मिंग एवं प्रदेश की जलवायु पर होगा। इसलिए इसीबीसी को संशाधित कर कानून लागू करके की प्रक्रिया चल रही है। छत्तीसगढ़ इसीबीसी के संशाधित प्रारूप में, वे व्यवसायिक परिसर जिनका कनेक्टेड लोड 50 के.व्ही. या अधिक, या कान्ट्रेक्ट डिमांड 60 के.व्ही.ए. या अधिक, या कुल बिल्ट-अप क्षेत्रफल 1000 वर्गफीट या अधिक हो इसके दायरे में आयेंगे।

आवासीय भवनों के लिये कोड को सरलीकष्त करके ‘‘इको निवास संहिता‘‘ के नाम से 2018 में लागू किया गया। इसके दायरे में वे आवासीय भवन या आवासीय परिसर आयेंगे, जिनका प्लॉट एरिया 50 वर्गमीटर या अधिक हो।

इन राज्यों में लागू है ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता

मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चित बंगाल, त्रिपुरा, तेलंगाना, सिक्किम, राजस्थान, पंजाब, पोंडिचेरी, ओड़िशा, मिजोरम, केरला, हिमाचल प्रदेश, हरयाणा, असम, अरूणाचल प्रदेश, आंध्रपद्रेश, अंडमान द्धीप समूह।

जलवायु के अनुसार होता है भवनों का डिजाईन

क्रेडा के एनर्जी एफिशियंसी बिल्डिंग सेल की मैनेजर आर्किटेक्ट नीना रायचा एवं सीनीयर काउंसलर इंजिनियर प्रीति गुप्ता ने  बताया कि भवनों को क्षेत्र की जलवायु के अनुसार डिजाईन किया जाता है तथा एयर कंडिशनिंग सिस्टम, लाईटिंग, पंप, मोटर, कंट्रोल आदि सिस्टम को कोड के मानक अनुसार डिजाईन किया जाता है। बिल्डिंग का एनर्जी मॉडल साफ्टवेयर से बनाकर ऊर्जा आवश्यकता को निर्धारित कर ऊर्जा संरक्षण के विभिन्न तरीके आर्किटेक्ट को प्रस्तावित किये जाते है। इसमें दिशा के अनुसार खिड़की दरवाजों के आकार का निर्धारण, छत एवं दीवारों पर इंसुलेशन या कैविटि वॉल, छत एवं दिवारों का मटेरियल जैसे एएसी ब्लॉक, फ्लाई ऐश ब्रिक, ग्लास के मानक, वेंटिलेशन के मानक आदि तय किये जाते है।

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